देखो ना , वो मुझसे रूठा हुआ है - धृति पंत

देखो ना , वो मुझसे रूठा हुआ है - धृति पंत 


अक्सर कम बोलना , चुप रहना आदत है मेरी। 
मुझे लोगों के बीच घुटन सी होती है। अकेलेपन में ना जाने इतना सुकून क्यों है.? 
 मेरे दोस्त भी काफी कम है। मुझे ज्यादा रिश्ते बनाना नहीं पसंद, क्योंकि मुझे लोगों से बात करने की आदत हो जाती है और जैसे ही मैं सामने वाले शख़्स पर ऐतबार करती हुं वो मुझसे बेहद दूर चले जाते है ।
लोगों को खोने के डर से अब मैने नए लोगों से मिलना बंद कर दिया हैं । सब से खुद को दूर रखती हु ताकि जब एक दिन अलग होना पड़े तो दुःख ना हो, पर सब की जिंदगी में एक खास शख़्स होता है। मेरे जिंदगी मैं भी है। 
हम हर रोज एक दूसरे से खूब बाते किया करते थे। हमारे शहर काफी दूर थे जिस कारण हम सालों से एक दूसरे से मिले नहीं थे, परंतु अक्सर मिलने की योजना बनाते थे। जगह जगह घूमना , सिर्फ एक दूसरे के साथ समय बिताना,  सोच कर ही कितना सुकून मिलता है ना। मैं जानती थी कि हम जिंदगी भर साथ नहीं रह सकते , पर मैं उसके साथ अपनी जिंदगी के कुछ हसीं पल गुजरना चाहती थी। 
तारों भरे आसमान से बीचों बीच बैठे मैं और वो। कितने अजीब होते है ना ये ख़्वाब भी , पूरा होने से पहले ही बिखरने  लगते है। और हमेशा की तरह जिस शख़्स पर मैने ऐतबार करा आज वो मेरे साथ नही है। अब हम बात नहीं करते ना आज, ना कल , ना कभी। कितना अजीब होते है ना कुछ रिश्ते ,बेवजह ही आंधी चलती है और बस बिखर से जाते है। कितना ही संभालने की कोशिश करो , कितना ही जोड़ने की कोशिश करो पहले जैसे नहीं हो पाते। 
और हमेशा से जैसा होता था इस बार भी वही हुआ ,आज वो भी मुझसे बात नहीं कर रहा। देखो ना, वो कैसे मुझसे रूठा हुआ है।
Pic reference : img. 
(https://images.app.goo.gl/a9WWoTe85dGCBZtZ7)

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